गायत्री मंत्र – Gayatri Mantra

गायत्री महामंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।

अन्य गायत्री मन्त्रों को भी अवस्य देखें:

श्री गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

ॐ लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

सरस्वती गायत्री मंत्र

ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌॥

ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्रियै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌॥

ॐ ऐं वाकदैव्यै च विद्महे विरिंजि पत्न्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात्॥

रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

दुर्गा गायत्री मंत्र

ॐ महादेव्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।

ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

सूर्य गायत्री मंत्र

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत।।

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

ॐ ओम नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

लक्ष्मी गायत्री मंत्र

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॥

श्री राम गायत्री मंत्र

ॐ दाशरथये विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।

ॐ भरताग्रजाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ।।

श्री कृष्ण गायत्री मंत्र

ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् ।।

ॐ दामोदराय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् ॥

ॐ श्रीकृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥

हनुमान गायत्री मंत्र

ॐ रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात्||

ॐ आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो: हनुमत् प्रचोदयात्||

ॐ अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात्||

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्॥

ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो सौरि: प्रचोदयात ॥

गरुड़ गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ||

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